Monday, September 24, 2007

सशस्त्र सैनाओं के पेंशन प्रावधान

वर्तमान नियमों के अनुसार भारतीय सशस्त्र सैनाओं में पेंशन लाभ प्राप्त करने के लिये कर्मचारियों को 15 वर्ष और अधिकारियों को 20 वर्ष के न्यूनतम सेवाकाल का प्रावधान है। इसका सीधा-सीधा तत्पर्य यहाँ हो जाता है कि यदि कोइ कर्मचारी 14 वर्ष 11 महीनों मे अपनी पारिवारिक परिस्थितिवश मजबूर हो कर या फिर अपनी किसी शारीरिक अक्षमता के वशीभूत हो कर सर्विस छोडता है तो भी वह पेंशन का लाभ प्राप्त नहीं कर सकता।
भले ही यह स्थिति बहुत कम उत्पन्न होती है परंतु यह नियम यह सोचने के लिये मजबूर कर देता है कि एक व्यक्ति जिसने अपनी उम्र के चौदह वर्ष से अधिक का समय सेना को दिया हो और उस सेवाकाल में बिना अपनी जान और व्यक्तिगत ज़िन्दगी की परवाह किये देश की सुरक्षा के लिये दिये हों उसे महज़ कुछ समय की कमी के कारण पेंशन सुविधा से महरूम कर दिया जाता है। यहाँ इस बात से जुडी एक व्यवहारिक बात और सामने आती है और वह यह कि एक सैनिक की भर्ती के समय उसकी उम्र लगभग सत्रह से अठारह वर्ष होती है और यदि वह किन्हीं परिस्थितियों के कारण चौदह वर्षों में सैन्य सेवा से मुक्ति प्राप्त करता है तो उस समय उसकी उम्र हो जाती है लगभग तैंतीस वर्ष। और चूंकि सैना में कार्य करते हुये अमूमन व्यक्ति के सामाजिक जीवन की अनदेखी हो जाती है। तो अब जब वह तैंतीस वर्ष की आयु में सेवानिवृत हो कर आता है तो वह अपने आप को सैन्य परिवेश के बाहर के माहौल में अपने आप को ढाल नहीं पाता। और ना ही बाहर के कार्यिक परिवेश के अनुरूप अपने आप मे परिवर्तन कर पाता है। ऐसे मे इन लोगों के लिये सबसे बड़ा सहारा बचता है तो वो है पेंशन का। और जब उन्हें यहाँ नही मिलती तो वे अपने आप को बहुत असहाय महसूस करते हैं।
इन सभी से महत्वपूर्ण और गंभीर बात यहाँ भी है कि सरकार का इस तरफ कोई ध्यान नहीं है और ना ही ऐसे भूतपूर्व सैनिकों जिनका सेवाकाल पंद्रह वर्ष से कम है उनके लिये कोई योजना है।

1 Comment:

Udan Tashtari said...

इस विषय पर विचार किया जाना चाहिये शासन तंत्र द्वारा. आपने एक अच्छे मुद्दे को उठाया है. जो भी यथोचित हो जिसमें तंत्र का दुरुपयोग न हो, वो जरुर किया जाना चाहिये.

आपका आभार कि आपने इस विषय पर ध्यान दिलवाया.

 

© Vikas Parihar | vikas